सांस सांस में बसा देहरादून

सांस सांस में बसा देहरादून

बहुत पुराना किस्सा है। एक बुजुर्ग शख्स अपने बंगले के हरे भरे लॉन में शाम के वक्त चहल कदमी कर रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि गेट पर उनका कोई प्रिय मेहमान खड़ा है। उसे देखते ही उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। उन्होंने अपनी छड़ी वहीं नरम घास में धंसा दी और गेट खोलने…

रावी पार का रचना संसार

रावी पार का रचना संसार

उस शाम रावी दरिया का पानी सरहदें पार करके मुंबई के अरब महासागर से आ मिला था और अपने साथ बहा ले आया था लाहौर की सोंधी सोंधी मिट्टी की गंध, वहां की बोली की मिठास, अनारकली ब़ाजार की रौनक, वहां की तहजीब, मौसिकी, अदब, वहां की सियासत की बातें और वहां की जनता के…

मोबाइल ने बचाई हमारी जान

मोबाइल ने बचाई हमारी जान

10 दिसम्‍बर 2007 की सर्द सुबह थी वह। सवेरे साढ़े पांच बजे का वक्‍त। मुझे फरीदाबाद से नोयडा जाना था राष्‍ट्रीय स्‍तर के एक सेमिनार के सिलसिले में। सेमिनार के आयोजन का सारा काम मेरे ही जिम्‍मे था। पिछली रात मैं मेजबान संस्‍थान के जिस साथी के साथ नोयडा से फरीदाबाद अपने माता पिता से…

बोरिस पास्तरनाक

बोरिस पास्तरनाक

कलम में एक जानवर की तरह, मैं कट गया हूं अपने दोस्तों से, आ़जादी से, सूर्य से लेकिन शिकारी हैं कि उनकी पक़ड मजबूत होती चली जा रही है। मेरे पास कोई जगह नहीं है द़ौडने की घना जंगल और ताल का किनारा एक कटे हुए प़ेड का तना न आगे कोई रास्ता है और…

बार नवापारा जहां पशु सौर ऊर्जा से पानी पीते हैं

बारनवापारा जहां पशु सौर ऊर्जा से पानी पीते हैं

इस बार आनंद हर्षुल और मनोज रूपड़ा के निमंत्रण पर पहली बार कथा विमर्श में रायपुर जाना हुआ। 16 से 21 जनवरी 2009। लम्‍बी ट्रेन यात्रा के हौवे और वहां के सर्दी के मौसम के डर ने कई दिन तक असमंजस में बनाये रखा कि जाऊं या न जाऊं, लेकिन कुछ नये पुराने रचनाकारों से…

बायें हाथ से काम करने वालों का दिन – 13 अगस्त

बायें हाथ से काम करने वालों का दिन – 13 अगस्त

अखबार ने बताया कि आज लैफ्ट हैंडर्स डे है। जब भी इस तरह के डे की बात पढ़ता हूं तो यही अफसोस होता है‍ कि बरस भर के बाकी दिन तो दूसरों के लिए लेकिन एक दिन आपका। अब चाहे मदर्स डे हो या फादर्स डे। साल में सिर्फ यही दिन आपका। भले ही अपने…

बाबा कार्ल मार्क्स की मज़ार बरसात और कम्यूनिस्ट कोना

बाबा कार्ल मार्क्स की मज़ार बरसात और कम्यूनिस्ट कोना

2005 का कथा यूके का इंदु शर्मा कथा सम्मान वरिष्ठ साहित्यकार श्री असगर वजाहत को उनके उपन्यास कैसी आगी लगाई के लिए हाउस हॉफ लॉर्ड्स में दिया गया था। इसी सिलसिले में मैं उनके साथ जून 2006 में बीस दिन के लिए लंदन गया था। सम्मान आयोजन के पहले और बाद में हम दोनों खूब…

बहुत बड़े अफसर की तुलना में छोटा लेखक होना बेहतर है।

बहुत बड़े अफसर की तुलना में छोटा लेखक होना बेहतर है।

आदमी के पास अगर दो विकल्‍प हों कि वह या तो बड़ा अफसर बन जाये और खूब मज़े करे या फिर छोटा-मोटा लेखक बन कर अपने मन की बात कहने की आज़ादी अपने पास रखे तो भई, बहुत बड़े अफसर की तुलना में छोटा-सा लेखक होना ज्‍यादा मायने रखता है। हो सकता है आपकी अफसरी…

बहुत निराश हुआ चालीस बरस बाद अपने स्कूेल जा कर

बहुत निराश हुआ चालीस बरस बाद अपने स्कूकल जा कर

  बहुत बरसों से ये इच्‍छा थी कि अगली बार जब भी अपने शहर देहरादून जाऊं, उस गांधी स्‍कूल में जरूर जाऊं जहां से मैंने 1968 में हाईस्‍कूल पास किया था। बेशक 1974 में नौकरियों के चक्‍कर में हमेशा के लिए मैंने अपना शहर छोड़ दिया था और उसके बाद भी  कुछ बरस तक वहां…

नमक के बहाने

नमक के बहाने

पुणे में वह मेरा आखिरी दिन था। लगभग पचास महीने वहां बिताने के बाद मैं मुंबई वा‍पिस जा रहा था। जो दो एक दावतनामे थे, वे निपट चुके थे। मैं वहां अपने आखिरी दिनों में होटलों में ही खाना खा रहा था। बेशक सामान बाद में ले जाता, मैं अगली सुबह वापिस जा रहा था।…